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वत्स गोत्रिये सोनभदरिया मूल वाले भूमिहार ब्राह्मणों का इतिहास

Friday 28 September 2012

महर्षि वत्स के वंशज सोनभदरिया भूमिहार

गोत्र - वत्स, मूल - सोनभदरिया (भूमिहार) - सोनभदरिया मूल के भूमिहारों के सम्बन्ध में जब मैंने अपना खोज शुरू किया तो पाया की ये लोग सोन नदी के तट से जुड़े रहे, इनका निवास स्थान मूलतः सोन नदी के तट के आस पास रहा | सोन नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक,  मध्यप्रदेश है और इसकी धारा उत्तर प्रदेश के जिले सोनभद्र से होते हुए बिहार तथा झारखण्ड में प्रवेश करती है | बिहार में भोजपुरी बोलने वाले क्षेत्र से प्रवेश करते हुए मगध के क्षेत्र को छूते हुए अंततः गंगा में विलीन हो जाती है | सोनभदरिया मूल वाले लोग आज के समय में बिहार के साथ - साथ अन्यत्र भी बसे हुए हैं, लेकिन जैसा की देखने को मिलता है की सोनभदरिया भूमिहारों का अधिकांश गाँव सोन नदी के किनारे वाले इलाकों में ही है | वर्तमान में जिला रोहतास, भोजपुर, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद और पटना जिले के नजदीक वाले इलाके बिक्रम तक एक क्रम में इनके गाँव देखने को मिलते हैं |

इतिहास का रहस्य जो भी हो लेकिन इनका मूल रूप से सोन नदी के तट के आस पास के इलाकों पर बसे इनके ऐतिहासिक गाँव एक सच्चाई को बयान करती है, जिसे कदापि झुठलाया नहीं जा सकता है की मूलतः ये लोग इसी इलाके के रहने वाले हैं | सोनभदरिया भूमिहार परिवार में वृद्ध लोगों से मिलने के उपरांत मुझे उनसे प्राप्त वंशावली के आधार पर सोनभदरिया भूमिहारों के दो गढों का जिक्र मिलता है | लोगों का यहाँ तक कहना है की ये दोनों गढ़ एक ही पिता से उत्पन्न दो सहोदर भाइयों के थे | १) कयाल गढ़ २) नोनार गढ़ | काल में विषम परस्थितियों की वजह कई लोग इन गाँव से अन्यत्र कहीं और जाकर बस गये | वैसे बिहार राज्य के अरवल जिले, प्रखंड - सोनभद्र वंशी सूर्यपुर, पंचायत – वंशी सोनभद्र के अंतर्गत ग्राम – सोनभद्र का जिक्र मिलता है | कयाल गढ़ और नोनार गढ़ जो की वास्तव में सोनभदरिया भूमिहारों से जुड़ा है, इसका अरवल के सोनभद्र ग्राम के नजदीक होना भी एक सच्चाई है | कहीं सोनभद्र गाँव से तो इनका सम्बन्ध नहीं है, हो सकता है की इतिहास में सोनभदरिया भूमिहार का सम्बन्ध इस गाँव से रहा हो और इसी सोनभद्र गाँव के नाम पर इनका मूल स्थान के आधार पर ये लोग सोनभदरिया के नाम से जाने जाते हों | वैसे सोनभदरिया मूल वाले भूमिहार चुकी सोन नदी के तट से जुड़े हैं, इसलिए यह भी हो सकता की इस वजह से भी ये वत्स गोत्रिये, सोनभदरिया के नाम से जाने जाते हों |

१ ) कयाल गढ़ : ग्राम - कयाल, पंचायत - कयाल, प्रखंड - करपी, जिला - अरवल (बिहार)

२) नोनार गढ़ : ग्राम - नोनार, पंचायत - गोडीहान, प्रखंड - दाउदनगर, जिला - औरंगाबाद (बिहार)

- संतोष कुमार (लेखक)  

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