रातों रात भाग गया
वारेन हेस्टिंग्स ||
फ़तेह बहादुर शाही के रूप में तेईस सालों
तक अंग्रेजों को धुल चटाया, गोरों
को मिटटी में मिलाया... तमकुही राज की दीवारें आज भी मेरी शक्ति का परिचय कराने के
लिए बुलंदी के साथ धरती पर विद्यमान हैं | टिकारी राज की वह खंडहरें आज भी गवाही देती हैं, कि मेरी क़दमों की आहट से बिहार से लेकर
बंगाल तक के शासनकारियों की चूलें हिला करती थीं | बेतिया राज के बंद पड़े कमरे... अंधकार
में न डूबेगा मेरा इतिहास... उन दस्तावेजों को पलटो... तब जानोगे अंग्रेजी सरकार
की कैसे हुई धुनाई… उन
फिरंगियों की पिटाई... बेतिया नरेश के रूप में मैंने क्या हाल किया | बेतिया की धरती… काशी का हार... टिकारी का द्वार…
तमकुही की दीवार हूँ मैं |
अमावां की महारानी भुनेश्वरी कुंवर के
रूप में मुझे राष्ट्र की दूसरी सबसे अमीर महिला बनने का गौरव प्राप्त हुआ |
नरहन राज द्रोणवार भूमिहार रूपी मैं वह
बिगुल हूँ, जिसने मगध - तिरहुत
की धरती से लेकर नेपाल तक अपना जयघोष किया | द्रोणाचार्य का ब्रह्म्हास्त्र, आर्यभट - बाणभट्ट का शास्त्र हूँ मैं |
वर्षों से प्यासी... बंजर पड़ी धरती...
किसान परेशान... रोते बिलखते परिजन... भूखे को होने लगा था भोजन का आभास... दिल न
माना... मैं जागा... कर्म भूमि पर दिखी हरियाली | वे लहलहाते फसल आज भी मेरे संघर्ष की
गाथा बयान करते मिल जायेंगे | स्वामी
सहजानंद सरस्वती के विचार... बाबा रणवीर की जयकार... अमर शहीद वीर ब्रह्मेश्वर की पुकार
हूँ मैं |
सिकंदर हो या मिनिंदर... तुर्क या
मुग़ल... अफगान और अंग्रेज... आतंक से नक्सल तक सबने देखा सबने जाना... हमें पहचाना
और खाई कसम अब न है इनसे टकराना | शस्त्र
और शास्त्र दोनों का टंकार... मेरा फुंकार, जंग नहीं लगा उस धार में… मैं ब्राह्मण एक कृषक – ब्रह्मज्ञानी शस्त्रधारी, सप्तर्षियों की जयकार - अन्याय का करता
बहिष्कार, काल की ललकार -
परशुराम की हुंकार हूँ मैं |
क्रांति हो या स्वाधीनता... योगेन्द्र
शुक्ला, बैकुंठ शुक्ला,
चंद्रमा सिंह, राम नन्दन मिश्रा, पंडित राज कुमार शुक्ला, पंडित यमुना कर्जी..... जैसे
स्वतंत्रताकारी सिपाही दिए, गोरों
का आधार मिटाया... उन्हें भगाया... राष्ट्र को स्वाधीन कराया | जब समाज के उद्धार की घडी आई सर गणेश
दत्त के रूप में राष्ट्र को तन - मन और जीवन समर्पित | मिल / मजदुर संघ भी पीछे न छूटा...
मैंने ही बसावन सिंह को जन्म दिया |
डा. श्री कृष्ण के रूप में मेरा जन्म
हुआ... देवघर का खुला पट... जनता जन्नार्दन ने नव बिहार का निर्माणकर्ता बनाया...
मैंने बिहार को विकाश की धारा पर लाया | जब सत्ता में लग गया दीमक सिंहासन ने लगाई गुहार,` तब उत्तर प्रदेश की धरती पर अवतारित
राजनारायण के रूप में राष्ट्र को अपना जलवा दिखाया | चाणक्य की निति... कालिदास का भाष्य...
जम्बूदीप का खासमखास हूँ मैं |
कोल नगरी ढूँढ रहा था जौहरी... कोयले को
हीरे का रूप दिया... बी.पी. सिन्हा नाम से कोयलांचल का महानायक बन कर जगमगाया मैं
वह सितारा | न्याय
भी रहा न गया था बाकि... मुख्य न्यायधीश के पद पर ललित मोहन शर्मा को सौंपा |
बिहार विधानसभा ने राम दयालु सिंह रूपी
प्रथम अध्यक्ष ढूँढा |
राम - कृष्ण का किया था जयगान, तभी कुणाल.. ओझा... राजवर्धन... गौतम
बना... माटी से लेकर सिंहासन तक जनता का सेवक बना... कृषक रूपी मिटटी का किया
दोहन... मैं एक मजदुर... मैं ही जमींदार बना | ब्रह्मपुत्र नदी मेरी कृति... शाही का
विशालकाय जहाज हूँ मैं |
कला हो या संगीत - गायन और वादन...
मधुबनी के चित्र... शारदा सिन्हा के बोल - गोपाल सिंह नेपाली के गीत... मैथिलि -
बज्जिका के लोकगीत... भोजपुरी का संगीत हूँ मैं |
वेदों के श्लोकों में... मुख से मेरा
जन्म... पुराणों में बिखरे मेरे गोत्र विवरण... रामचरित्र मानस का रचयता बनकर,
मैं तुलसीदास बना | महाभारत भी कैसे रहता शेष ! भीष्म की प्रतिज्ञा ने
दुहराया इतिहास... कमल नयन भीष्म पितामह कैलाशपति मिश्र को गंगा की धरती ने चुना
अपना जेष्ठ | ब्रह्मा
का अविष्कार... देवी सरस्वती का प्रसाद... कलम की ललकार... रामवृक्ष बेनीपुरी के
वाक्य... दिनकर का अलंकार हूँ मैं |
बारा से हुआ आहत... सेनारी में फुटा
मेरे अश्रुओं का धार... उन अश्रुओं के सैलाब की मझधार हूँ मैं | वोटों की गिनती ने लगाई मुहर... जंगलराज
का हुआ खात्मा... पलटी सरकार, जनता
की आवाज बना | शहीद
किसानों को मेरा नमन... “ जब
तक सूरज चाँद रहेगा वीर शहीदों तुम्हारा नाम रहेगा ” | समय का सारथि, युगों का प्रार्थी... शहीदों के जीवन –
मरण तक हार बनूँगा... चिताओं पर लगेंगे
हर साल मेले, पुष्पों
की वर्षा करूँगा |
रूपावली का रूपवान, औशानगंज का ऐश्वर्य, चैनपुर की चमक, हथुआ का दमक, भेलावार का कनक, लारी की खनक, आगापुर का आग, राजगोला का गोला, पंडुई का पांडव, केवटगामा का केवट, शिवहर - जैतपुर का सेवक, बभनगावां, भरतपुरा और धरहारा का वही पुराना सरकार
हूँ मैं |
पञ्च गौड़ – पञ्चद्रविड़, इनमें देखो मेरी चर्चा... कन्नौज,
सारवावार, मैथिल, गौड़, जुझौतिया इनमें मेरी वंशावली | अराप, पैनाल, अमहारा गढ़ बतलाता मेरा इतिहास... मनु का
मन्वंतर सावर्णी... मैथिल की मिटटी का मूरत... मगध - भोजपुर का सूरत... रोहतास गढ़
का लाल सावर्ण गोत्रीय सवर्णिया ब्रह्मर्षि भूमिहार हूँ मैं |
- संतोष कुमार