भीष्म पितामह “ कैलाशपति मिश्र “
Sunday, 4 November 2012
ब्रह्मर्षि स्तंभ भीष्म
पितामह “ कैलाशपति मिश्र “
बिहार
– झारखण्ड भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक एवं बिहार के जनसंघ की आधारशिला
रखने वाले, भाजपा के भीष्म पितामह के नाम से विख्यात, ब्रह्मर्षि स्तंभ
श्री कैलाशपति मिश्र का निधन शनिवार ३ नवंबर को दोपहर के एक बजे, पटना में
हो गया | वे ८६ वर्ष के थे, इनका जन्म ५ अक्टूबर १९२६ को भूमिहार ब्राह्मण
परिवार में हुआ | इनके पिता का नाम पंडित हजारी मिश्र था और वे बक्सर जिला
के गाँव “ दुधारचक ” के रहने वाले थे | १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन में इनकी
सक्रिय भागीदारी रही और छात्र जीवन में ही इन्हें जेल जाना पड़ा | आजीवन
अविवाहित रहने की प्रतिज्ञा लेने वाले त्यागी महापुरुष एवं समाजसेवी
कैलाशपति जी, सन १९४५ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने के साथ अपने
अटल संकल्प को बखूबी निभाते हुए मरते दम तक संघ परिवार की सेवा की | भाजपा
के इस महाप्रचाकर को १९५९ में पहली बार बिहार प्रदेश के संगठन मंत्री के
तौर पर चुना गया | १९७७ के चुनाव के दौरान, पटना जिले के विक्रम विधानसभा
क्षेत्र सीट पर अपनी जीत को दर्ज कराते हुए पहली बार विधायक बने और जनता
पार्टी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की सरकार में वित्त मंत्री
के पद से इन्हें नवाजा गया | संघ, बिहार के अपने इस जौहरी को बखूबी जानती
थी, १९८० में इन्हें पहली बार बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद से मनोनीत
किया गया | १९८४ से लेकर १९९० के दशक तक राज्यसभा सदस्य रहे | कालांतर में
वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय मंत्री के साथ पार्टी के राष्ट्रीय
उपाध्यक्ष तक बनाये गए | राष्ट्रीय मंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद
पर आसीन रहते हुए वे कई राज्यों के संगठन मंत्री के रूप में भी कार्यरथ रहे |
इन्हें गुजरात के साथ - साथ राजस्थान के राज्यपाल बनने का भी गौरव प्राप्त
हुआ |
इनकी लिखी पुस्तकें १) पथ के संस्मरण (आत्मकथा) २) चेतना के स्वर (कविता संग्रह)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रन्तिकारी, भारतीय जनता पार्टी के रत्न, ब्रह्मर्षि कुलभुषण कैलाशपति मिश्र जी आज हमारे बीच नहीं हैं, किन्तु उनकी विचारधाराएं सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे |
- संतोष कुमार (लेखक)
इनकी लिखी पुस्तकें १) पथ के संस्मरण (आत्मकथा) २) चेतना के स्वर (कविता संग्रह)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रन्तिकारी, भारतीय जनता पार्टी के रत्न, ब्रह्मर्षि कुलभुषण कैलाशपति मिश्र जी आज हमारे बीच नहीं हैं, किन्तु उनकी विचारधाराएं सदैव हमारा मार्ग दर्शन करते रहेंगे |
- संतोष कुमार (लेखक)
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