ब्रहमेश्वर मुखिया की हत्या के विरोध में तोड़फोड़ व आगजनी के मामले में पुलिस ने कुछ लोगों को नामजद किया
Saturday, 9 June 2012
वीर ब्रहमेश्वर मुखिया की हत्या के खबर सुनकर कई लोग कुछ समय के लिए मानसिक तौर से विछिप्त हो गए थे | मुखिया जी की हत्या के विरोध में बिहार के कुछ जगहों पर, खासकर आरा, बिहटा और पटना शहर में तोड़फोड़ व आगजनी जैसी मामूली घटनाएँ घटीं | तोड़फोड़ व आगजनी करने वाले लोग विद्यार्थी भी हो सकते हैं और नाबालिग भी, कुछ ऐसे भी शरारती तत्व हो सकते हैं जो विरोधी दल की राजनितिक उपज हों, जिनका कोई अपराधिक चरित्र पहले से न हो और मुखिया जी की हत्या का सदमा बर्दास्त नहीं कर पाए हों और गुस्से में ऐसी नासमझी वाली भूल कर बैठे हों या विरोधी दल के नेता के इशारे पर जानबूझकर किया हो | सरकार और प्रशासन की और से मुखिया जी के शवयात्रा में पुलिसिया करवाई में थोड़ी ढील देने के कारण तोड़फोड़ व आगजनी जैसी घटना घटीं | मेरे अनुसार सरकार को ऐसे लोगों को एक बार माफ कर देना चाहिए, जिनका पहले से कोई अपराधिक चरित्र न हो और हत्या के विरोध में गुस्से के कारण अपना आप खो बैठे तथा तोड़फोड़ व आगजनी में शामिल होकर कानून तोड़ने का अपराध भूलवश कर बैठे | वैसे भी कुछ पल के लिए ऐसे मानसिक तौर से विछिप्त हो चुके लोगों पर क़ानूनी करवाई करके अपराधी बनाकर, उनके भविष्य को अँधेरे में डालकर सरकार और प्रशासन को कौन सा अलाउद्दीन का चिराग मिल जायेगा, वैसे भी मुखिया जी के दाह संस्कार के बाद माहौल शांत चल रहा है | जैसा की पहले भी पटना में देखने को मिला है की एक कांड में एक प्रशासनिक महिला एस. पी. को माफ करने की सिफारिस बिहार सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्रारा की गई थी | इस बात पर सरकार और प्रशासन को थोडा विचार करना चाहिए, आगे सरकार और प्रशासन की मर्जी |
- संतोष कुमार (लेखक)
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