भारत से जमींदारी प्रथा के खात्मे के महानायक ब्रह्मर्षि शिरोमणि " श्री १०८ दण्डि स्वामी सहजानंद सरस्वती "
Monday, 12 August 2013
किसानों
के महानायक के रूप में उभरे भूमिहार ब्राह्मण कुल में पैदा हुए श्री १०८ दण्डि स्वामी सहजानंद सरस्वती
जी ने भूमिहार ब्राह्मणों के सम्मान
में " भूमिहार ब्राह्मण परिचय " नामक अपनी अनमोल कृति को समाज में उस
समय प्रस्तुत किया जब भूमिहार ब्राह्मण, समाज
में अपना विरोधाभास का संकट
झेल रहा था | स्वामी जी ने अपने इस पुस्तक को अगले
संस्करण में नया नाम
दिया " ब्रह्मर्षि वंश विस्तर " |
मैथिल ब्राह्मणों के पाखण्ड
प्रवृति के लोगों की ओर से स्वामी जी के पुस्तक " भूमिहार ब्राह्मण परिचय
" का आलोचना करने हेतु " भूमिहार भ्रम भंजन " नामक पुस्तक को प्रकाशित
करवाया |
कड़े प्रवृति के स्वामी सहजानंद जी चुप कैसे बैठते, उन्होंने उन आलोचक मैथिलों का जवाब अपने नए पुस्तक " मैथिल मान मर्दन " के द्वारा करारा जवाब दिया | स्वामी जी के लिखे पुस्तकों में सच्चाई पाकर अपना मान मर्दन करवा चुके आलोचक मैथिल ब्राह्मणों ने अंततः हार स्वीकार करते हुए चुप बैठना आवश्यक समझा |
वैसे आप लोगों को बताना चाहूँगा कि स्वामी जी की कृति के रूप में उनकी पहली पुस्तक " ब्राह्मण समाज की स्थिति " थी | इसके उपरांत " भूमिहार ब्राह्मण परिचय " | स्वामी जी ने कई पुस्तकों की रचना की | किसानों के मान सम्मान को लेकर उनके समबन्ध में भी इनके अनेकों रचनाएँ हैं |
- संतोष कुमार
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