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कुछ प्रसिद्ध भूमिहारी कहावतें -

Saturday 7 July 2012

01. मैं उसको नहीं जानता जो भूमिहार नहीं हैं,
लेकिन जो भूमिहार है उनको कौन नहीं जानता ||

02. जिन्दगी तो भूमिहार जिया करते हैं,
दिग्गजों को पछाड कर राज्य किया करते हैं,
कौन रखता है किसी के सर पर ताज,
भूमिहार तो अपना राज तिलक स्वयं अपने रक्त से किया करते हैं,
फूलों की कहानी लिखी बहारों ने,
रात की कहानी लिखी सितारों ने,
भूमिहार नहीं किसी कलम के गुलाम,
क्योंकि भूमिहार की कहानी लिखी बंदूकों और तलवारो ने ||

03. सेना में स्वरों का और जिन्दगी में भूमिहारों का अलग ही मजा है ||

04. लोड करके राईफल, जब जीप पे सवार होते,
बाऩध साफा जब गाबरू तयार होते,
देखती है दुनिया छत पर चढके,
और कहते - " काश हम भी भूमिहार होते " ||

05. यार जा रहा है, दिलदार जा रहा है,
बच के रहना बबुआ, भूमिहार जा रहा है ||

06. लंका में रावण बिहार में बाभन (भूमिहार) ||

07. जिस घाट पर भूमिहार पानी पीते हैं,
वहाँ सियार भी पानी नहीं पीता ||

08. खनक जाए हाथों में उसे तलवार कहते हैं,
निकाल दे जो बालू से तेल उसको भूमिहार कहते हैं ||

09. जहाँ जईसन तहां तईसन,
अईसन नहीं त भूमिहार कईसन ||

10. हर तलवार पर भूमिहार की कहानी है,
तभी तो दुनिया भूमिहारों की दीवानी है |
मिट गए मिटाने वाले,
आग में तपी भूमिहारों की जवानी है ||

11. बिना पंख के उडाये,
बिना लासा के सटाये,
वही भूमिहार कहलाये ||

12. भूमिहार- एक योद्धा
जब राज-सिंहासन हिलने लगते
मचने लगती है एक ही पुकार
जब बंद द्वार खुल जाते थे
तब दरबारी चिल्लाते थे
छोडो सिंहासन चलो भाग
आ रहा है कोई भूमिहार |2|
जब स्वयं तिलक हो जाते थे
र्चस्व बना रहे पुरे जग में
दीप स्वयं प्रज्वलित हो जाएँ
तब समझ लेना मेरे जग वालो
आ रहा है कोई भूमिहार |2|
हाथी के गर्जन को भी डर एक साँप सूंघ ले
शेरों के मन भी डर से भयभीत हो उठें
घोड़ो के अस्तबल से आने लगे शांति की पुकार
तब समझ लेना मेरे जग वालो
आ रहा है कोई भूमिहार |2|

13. बभन-पेंच का चक्र चले जब,
त्राहि-त्राहि कर उठें लोग सब,
त्राण उन्हें मिलता है तब,
जब सब मिल करते गुहार,
समवेत स्वरों में महोच्चार,
जय भूमिहार जय भूमिहार

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