रणवीर चौधरी से रणवीर सेना तक का सफर
Friday, 13 July 2012
सफर उनीसवीं शाताब्दी से शुरू होती है, लगभग २१० वर्ष पुरानी बात है | बिहार के शाहाबाद जिले (वर्तमान भोजपुर जिला) के बेलाउर ग्राम में भूमिहार जाति के निवासी रणवीर चौधरी हुआ करते थे | गांव में राजपूत, भूमिहार, यादव और भी कुछ जाति के लोग रहते थे, लेकिन वर्चस्व राजपूतों कि थी उनकी संख्या अधिक थी, भूमिहार और यादवों के गिने चुने ही घर थे | आरा के नजदीक, जगदीशपुर निवासी महान स्वतंत्रता सेनानी राजा बाबू वीर कुंवर सिंह (पिता बाबू साहबजादा सिंह) भोजपुर जिले से थे, राजपूतों का उस इलाके में दबदबा होने का मुख्य कारण यह भी रहा | किद्वंती है कि रणवीर चौधरी का अपने ही गाँव के राजपूत जाति के लोगों से ठन गई | बात यहाँ तक आ गई कि राजपूतों को बेलाउर छोड़कर भागना पडा और उन्होंने बेलाउर से कुछ फासले पर स्थित मसाढ़, कौंरा आदि गांव में शरण ली | अंततः रणवीर चौधरी ने राजपूतों को बेलाउर गांव से खदेड़कर ही दम लिया और बेलाउर में भूमिहार का वर्चस्व कायम कर दिया | बेलाउरवाशी अपने को अवतार पुरुष रणवीर चौधरी का ही वंशज मानते हैं | बेलाउर में आज भी रणवीर चौधरी कि प्रतिमा देखने को मिलती है |
नब्बे के दशक में जब प्रतिबंधित संगठन भाकपा माले लिबरेशन से जब लोहा लेने कि बात आई तब भूमिहारों ने अवतारी पुरुष रणवीर चौधरी के नाम पर “ रणवीर किसान समिति “ बनाई | वास्तव में रणवीर सेना नाम संगठन भाकपा माले लिबरेशन का दिया हुआ है |
नोट: रणवीर किसान समिति (रणवीर सेना) पर लेख जारी है, बहुत जल्द पोस्ट कर दिया जायेगा |
- संतोष कुमार (लेखक)
नोट: रणवीर किसान समिति (रणवीर सेना) पर लेख जारी है, बहुत जल्द पोस्ट कर दिया जायेगा |
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